स्वरूप फैमली ने लगाया शत्रु सम्पत्ति के नाम पर उत्पीडन का आरोप

-परिवार को बदनाम करने वालो पर हो कार्यवाही, सीबीआई से जंाच कराने की मांग
मुजफ्फरनगर। शहर के प्रमुख उद्योगपतियो मे शुमार स्वरूप परिवार पर सैकडो करोड रूपये की शत्रु सम्पत्ति पर अवैध कब्जे के आरोपो के बीच मामला बढते देख आज स्वरूप परिवार ने मीडिया के सामने आकर अपना पक्ष रखा। शत्रु संपत्ति का भ्रम फैला कर फर्जी शिकायतो एवं जांच के नाम पर उत्पीड़न किये जाने का आरोप लगाते हुए आज स्वरूप परिवार ने प्रेस वार्ता कर अपनी सफाई दी। मीडिया सेंटर में आयोजित प्रेस वार्ता में नगर में प्रमुख उद्योग पति आलोक स्वरूप व अनिल स्वरूप ने प्रमुख समाज सेवी कुंवर देवराज पंवार व ललित माहेश्वरी के साथ पंहुचकर अपना पक्ष रखा। उधोगपति अनिल स्वरूप ने खेवट संख्या 4/1 की 570 बीघा जमीन को शत्रु संपति बता कर फर्जी शिकायतो के आधार पर स्वरूप फैमिली का उत्पीडन करने का आरोप लगाया है। उन्होंने इस संबंध में इस जमीन से सम्बंधित दस्तावेजो कि छाया प्रति दिखाते हुए इस संपति को शत्रु संपति होने के दावे को सिरे से खारिज किया। अनिल स्वरूप ने मीडिया संेटर पर पत्रकारों को बताया कि इस संपत्ति के मूल मालिक नवाब सज्जाद अली खां के 7 फरवरी 1942 को कुल दस हजार रुपये में लाला दीपचंद के नाम इकरारनामा किया था, ये रकम 2 चेक द्वारा ली गई थी। लेकिन नवाब सज्जाद अली खां ने इसी खेवट की कुल 570 बीघा जमीन को 58000 रुपये में 4 अप्रैल 1942 को लाला दुर्गा प्रसाद को बेच कर उनके हक में बैनामा कर दिया था। लाला दीपचंद ने इस मामले मे सिविल कोर्ट प्रथम मेरठ मे वाद दायर किया था जिसमे सुनवाई के बाद 28 अप्रैल 1943 को लाला दीपचंद के खिलाफ निर्णय आया और लाला दुर्गाप्रसाद के हक मे किया गये बैनामे को सही ठहराया गया। इस फैसले के खिलाफ लाला दीपचंद ने हाईकोर्ट मे अपील की जिसमे 6 वर्ष की लम्बी सुनवाई के बाद हाईकिोर्ट की फुल बैंच ने 12 मई 1949 को सुनाये फैसले मे लाला दुर्गा प्रसाद के बैनामे का निरस्त कर दिया तथा तीन माह मे 62000 रूपये न्यायालय मे जमा करने के आदेश लाला दीप चंद को दिये जिसके बाद पाकिस्तान चले गये नवाब सज्जाद अली के बिहाफ पर न्यायालय द्वारा बैनामा करने के आदेश पारित किये। इस फैसले के अमल मे 30 मई 1950 को सिविल जज प्रथम मेरठ रमेश चंद सरीन ने लाला दीपचंद के नाम बैनामा कर दिया। इसके बाद लाला दुर्गाप्रसाद ने सुप्रीम कोर्ट मे अपील दायर की परन्तु 18 नवम्बर 1953 को सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के फेसले को ही सही माना। उद्योगपति अनिल स्वरूप व आलोक स्वरूप ने बताया कि जिस सम्पत्ति को 1942 मे आजादी से पहले ही नवाब सज्जाद अली खां ने बेचकर अपना मालिकाना हक समाप्त कर लिया हो वह आजादी के बाद बटवारे के समय उनके पाकिस्तान जाने पर शत्रु समपत्ति कैसे हो सकती है। स्वरूप बंधुओ का कहना था कि इस पूरी सम्पत्ति के बैनामे लाला दीप चंद के परिवार द्वारा ही किये गये है। उनके परिवार के पास इस जमीन मे से सिर्फ 40 बीघा जमीन जबकि शेष जमीन पर शहर की कालोनिया बनी हुई हे जिनमे हजारो लोग रह रहे है। लेकिन कुछ गिरोह बंद लोग उनको परेशान करने की नियत से फर्जी शिकायते कर रहे है। इस सम्बंध मे वह खुद जिलाधिकारी को दर्जनो बार पत्र लिखकर व अपना जबाब देकर इस मामले के शीघ्र निस्तारण कर मांग कर चुके है। उन्होने केन्द्रीय मंत्री संजीव बालियान द्वारा इस सम्बंध मे पत्र लिख शीघ्र जांच के निर्देश देने पर उनका आभार भी जताया हे। स्वरूप परिवार ने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग करते हुए प्रशासन को गुमराह करने वाले असामाजिक तत्वो के विरूद्ध कडी कार्यवाही की भी मंाग की गई है।
प्लायन को किया जा रहा मजबूर
मुजफ्फरनगर। प्रेस वार्ता के दौरन आलोक स्वरूप व अनिल स्वरूप द्वारा आज कहा गया कि उनके परिवार को फर्जी शिकायतो के नाम पर परेशान किया जा रहा है। एक और जंहा प्रदेश व केन्द्र सरकार व्यापारियो केा सुरक्षित माहौल देने की बात कह रही है वंही उनको व्यापार करने मे कठिनाईयो को सामना करना पड रहा है। फर्जी शिकायतो के आधार पर उनके प्रतिष्ठानो पर 15 दिनो मे तीन-तीन बार छापे मारी की जा रही है जबकि प्रत्येक जंाच में सबकुछ सही पाये जाने पर भी पुनः जांच के नाम पर उत्पीडन किया जा रहा है। श़त्रु सम्पत्ति के मामले मे उनके पास पूरे दस्तावेज है जो वह प्रशासन द्वारा दिये गये नोटिस के जबाब मे उपलब्ध करा चुके है। इस मामले की जंाच प्रशासन स्तर पर लम्बित है। उनके द्वारा लगातार शीघ्र जांच की मांग की जा रही है ताकि मामला पूरी तरह साफ हो सके। इस प्रकरण से उनके परिवार की छवि को एक सुनियेजित तरीके से धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है और उनको इस शहर से प्लायन के लिये मजबूर किया जा रहा है। 
शिकायतकर्ता पर किया मानहानि का दावा
मुजफ्फरनगर। प्रेस वार्ता के दौरन अनिल स्वरूप ने बताया की उनके परिवार को एक गिरोह द्वारा फर्जी शिकायतो के आधार पर उत्पीडन किया जा रहा है। अभी जितनी भी शिकायते हुई है वे सब तथ्य हीन और फर्जी नामो से की गयी है बावजूद इसके उन्हे लगातार परेशान किया जा रहा है जिससे उनके कारोबर मे भी अडचने पैदा हो रही है। उन्होने बताया कि सिर्फ एक ऐसी शिकायत राधेश पप्पू द्वारा की गई है जो अपने पते पर मोजूद है लेकिन उनकी शिकायत भी आधारहीन एवं केवल उत्पीडन करने वाली है जिस पर उनके विरूद्ध अदालत मे मान हानि का दावा किया गया है जिसमे कोर्ट ने राध्ेाश पप्पू को तलब कर लिया है परन्तु वह अभी तक कोर्ट मे हाजिर नही हुए है।